ये मेरी शुरुआत है ..और ये मेरे पहले शब्द होंगे जो ब्लॉग के जरिये आप तक पहुचेंगे लेकिन मैं आपसे वादा करता हूँ जब जब आप मुझे पढेंगे तो कुछ अच्छा महसूस जरुर करेंगे ..तो तैयार हो जाइये कुछ बेहतर पढने को .
क्या लिख दूँ जब कलम हाथ हों ?
लिख दो ख़्वाहिशें लिख दो उम्मीद लिख दो एहसास लिख दो हर आस ... लिख दो उसे जो हो ख़ास लिख दो उसे भी जो हो आस_पास। लिख दो उन हवाओं को.... लिख दो पहाड़ो को और उन फिज़ाओ को , लिख दो उस बहते हुए पानी के लिए.. लिख दो बचपन की नादानियों के लिए लिख लो उन खुशनुमा पलो को जो बीत गए लिख लो उन यादो को भी जो , दिल के किसी कोने में मुस्कुरा रहे हो। लिख लो उन सपनो को जो अधूरे है लिख लो उनको जिनसे आप पूरे है , लिखने को है बहुत कुछ जो खुली आँखों से दिखता है , लिखने को है ऐसा भी जो बंद आँखों में रिस्ता है... लिखने को है पूरा आसमां लिख लेना है पूरा जहां ... लिख देना है ऐसा कुछ .... के जो ही पढ़ ले बस.., उसे उम्मीद से प्यार हो जाये सपने उसके बेशुमार हो जाये हौसलों को नयी उड़ान मिले अपने नाम को एक बड़ी पहचान मिले , लिख डालो वो सब कुछ खुद में छिपा है जो कह डालो वो सब कुछ जो अब तक अनकही है बोलो वो हर बात हर पन्ने से जो खुद से भी नहीं कही है। .. तुम ही शुरुआत और तुम ही अंत हो। ... यह ...
Comments
Post a Comment