ये जिंदगी हर मोड़ पर एक नया पैग़ाम देती है,
कभी तुमसे तुम्हारा नाम..
कभी कीमत में तुम्हारी पहचान लेती है।
क्या दांव पर लगेगा , और क्या चुकाओगे तुम..
वक़्त पर न संभले तो ख़ुद को भूल जाओगे तुम।
शतरंज की बिसात है और ,
हर चाल तुम्हारे खिलाफ़ है।
अपनी आँखों से कह देना देख लेना,
उन्हें भी... जो मोहरें तुम्हारे साथ है।
जब दिमाग की नसे हार बर्दाश कर लेंगी ,
और फितरत तुम्हारी इस हालात पर ऐतबार कर लेंगी।
तब जीत की एक मुमकिन पहल तुम कर लेना ..
हार का दबाव बदस्तूर होगा ,
बस एक बार तुम और लड़ लेना।
कई बार मर कर अगर दोबारा ,
जीना पड़े तो फिर जी लेना..
बस एक बार तुम और लड़ लेना।
बस एक बार तुम और लड़ लेना।