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जय श्री कृष्णा।। ..................
जन्माष्टमी पर विशेष। ( भगवान श्री कृष्णां का आपके लिए सन्देश )
प्रिय भक्तजनो, ..
मेरा रंग अलग मेरा ढंग अलग..
मेरा अंत अलग मेरा आरम्भ अलग।
मै सृष्टि में हूँ और नहीं भी....
मै गलत भी हूँ मै सही भी।
मैं धैर्य हूँ मैं धारणा भी मैं सब में स्थापित आराधना भी।
मैं क्रोधी भी हूँ और विनम्र भी..
मै वास्तविक भी हूँ और भ्रम भी।
मैं शोध हूँ और कर्म भी..
मैं आधा हूँ और संपूर्ण भी।
मैं रौशनी भी हूँ और अन्धकार भी..
मुझे पता है…
हर तरह से तुम्हे ....स्वीकार भी।
इसलिए बस मैं ईश्वर नहीं।
क्यूंकि मैं हूँ ही नहीं …।...
मैं बसता हूँ तुम्हारी आस्था में...
प्यार से तुम मुझे विश्वास कहते हों।
अरे.. चल रहा मैं तुममे .. तुम मुझे अपनी सांस कहते हो।
....
उम्मीद का ईश्वर तुम्हारे अंदर है..
इसलिए कभी तो पूरी होने वाली मुझे आस कहते हों।
तुम्हारा भगवान जो तुममे है... सिर्फ तुम्हारें लिए।
……………. रचनाकार ( एक प्रयास ) - रितेश निश्छल
......................................................................................................... Picture By; Google
जय श्री कृष्णा।। ..................
जन्माष्टमी पर विशेष। ( भगवान श्री कृष्णां का आपके लिए सन्देश )
प्रिय भक्तजनो, ..
मेरा रंग अलग मेरा ढंग अलग..
मेरा अंत अलग मेरा आरम्भ अलग।
मै सृष्टि में हूँ और नहीं भी....
मै गलत भी हूँ मै सही भी।
मैं धैर्य हूँ मैं धारणा भी मैं सब में स्थापित आराधना भी।
मैं क्रोधी भी हूँ और विनम्र भी..
मै वास्तविक भी हूँ और भ्रम भी।
मैं शोध हूँ और कर्म भी..
मैं आधा हूँ और संपूर्ण भी।
मैं रौशनी भी हूँ और अन्धकार भी..
मुझे पता है…
हर तरह से तुम्हे ....स्वीकार भी।
इसलिए बस मैं ईश्वर नहीं।
क्यूंकि मैं हूँ ही नहीं …।...
मैं बसता हूँ तुम्हारी आस्था में...
प्यार से तुम मुझे विश्वास कहते हों।
अरे.. चल रहा मैं तुममे .. तुम मुझे अपनी सांस कहते हो।
....
उम्मीद का ईश्वर तुम्हारे अंदर है..
इसलिए कभी तो पूरी होने वाली मुझे आस कहते हों।
तुम्हारा भगवान जो तुममे है... सिर्फ तुम्हारें लिए।
……………. रचनाकार ( एक प्रयास ) - रितेश निश्छल
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