फूलवाली |
ये टोकरी है दुकान मेरी और हर फुटपाथ पर मेरा डेरा।
काम तो मेरा छोटा है, पर अरमान छोटे नहीं,
इन फूलों की तरह बिखरी हूं, बस मैं यहीं कहीं।
हर कोई मुझे हर वक्त छोटा आंकता रहता है,
पर मेरे सपनो के झरोखे से कोई झांकता रहता है ।
हम जिन्दगी में अपनी बहुत कुछ में सबकुछ करना चाहते हैं,
पर शुरूआत कुछ से होती, बस यही भूल जाते हैं।
ये फूल बेच बेच कर जो कुछ कर पाती हूं,
बस इस कुछ से ही, परिवार के दिल में बस पाती हूं।
जरूरत और अरमानों में एक जंग सी छिड़ी है,
पर अरमानों के आगे, जरूरत की दीवार जो खड़ी है।
जरूरत की ये समस्या सचमुच काफी बड़ी है,
अब अरमानों की पोटली न जाने कहां पड़ी है।।
मेरे दिल के दरवाज़े पर उम्मीद की खट -खट है,
पर इस जिंदगी में तो काफी से ज्यादा खट -पट है।
एक विश्वास है सहारा मेरा ,मैं कुछ अलग कर पाऊँगी ,
रोने-धोने में क्या रक्खा है ,हर कोशिश पर मैं मुस्कुराऊँगी।।
मैं हूं एक फूलवाली, और फूलों का कारोबार है मेरा,
ये टोकरी है दुकान मेरी और हर फुटपाथ पर मेरा डेरा।
कोशिश - रितेश निश्छल
No comments:
Post a Comment