खुद से कहना मजबूत रहना। .



खुद से कहना मजबूत रहना। .

हर रास्ता थोड़ा सताएगा , पसीने से जब ये चेहरा नहायेगा।
सूखी धरती पर जब बूंदे बटोरेंगे , सोचो ये तजुर्बा क्या कहलायेगा। 
ख़्वाहिशों का समंदर भी होगा , जो चाहेंगे वो पूरा भी होगा। 
आओ सब्र की खूंटी से बंध जाये , गर्दिशों में जीत के गीत गुनगुनाये। 

अपने हर दर्द को भूल जाने का इल्म दे ,
आओ अपनी जिंदगी को हंसी-ख़ुशी वाली फिल्म दें।


                                                                                     एक वादा खुद से  _  रितेश कुमार निश्छल 

Comments

Popular posts from this blog

क्या लिख दूँ जब कलम हाथ हों ?

खुद को तुम .. बस ढूढ़ लाओ