संघर्ष में ही लक्ष्य और लक्ष्य में ही संघर्ष


मुझे हर कोशिश में,
मंज़िल का अक्स दिखता है।
अपने संघर्ष में ही ,
अपना लक्ष्य दिखता है।।

संघर्ष क्या है,
टूटकर बिखरने से पहले,
चटकना ज़रूरी है।
हो तलाश मुकम्मल ख़्वाब की,
तो भटकना जरूरी है।।
क्योंकि _
जीत के खेल में हर पत्ता,
मनमाफिक नहीं होता।
और _ कई चालो के बाद भी मिला तजुर्बा,
जीत से वाकिफ़ नहीं होता।।

वैसे_ जीत की हर किताब में,
कहानी जद्दोज़हद (संघर्ष) की होती हैं ......
कहानी ..
गिरने की होती हैं,उठने की होती है।
तनाव की होती हैं, बहाव की होती हैं।
लड़ने की होती हैं, बढ़ने की होती हैं ।
आंसुओं की होती हैं,
मुस्कुराहटो की होती हैं।

जीत की हर किताब में,
कहानी जद्दोज़हद (संघर्ष) की होती हैं ।।

मकसद (लक्ष्य) क्या है,
मकसद _ ख्वाब है, इबादत है,सुरूर हैं
ज़ज्बा,हौसला और गुरूर हैं।
मकसद _ तपते रास्ते का सुकून है,
और _ बारहो महीने ये मई और जून है।

जब मोहब्बत अपनी मेहनत से ,
और पसीने से प्यार हो जाए।
हर हालात में, दर्द में, जज्बात में,
मुस्कुराहट शुमार हो जाए।।
तो समझ लेना,
आने वाली जीत को जीने लगे हो तुम।
और, उम्मीद के कपड़े पर,
कोशिशों के धागे से अपना मकसद सीने लगे हो तुम।।


एक प्रयास _ रितेश कुमार 'निश्छल'

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