वर्ना सब अहसास की बात है।


ये प्यार , ये इश्क़, ये मोहब्बत की बात है ,
समझो तो फ़ितूर, वर्ना सब अहसास की बात है।।

अपनी कम उम्र से सुना हैं हमने,
इंसानियत_ इंसानियत_इंसानियत का फलसफ़ा ।
महसूस कर लो तो ये सब कुछ है,
वर्ना सब अहसास की बात है।।

कोइ तिलक, कोइ टोपी, कोइ पगड़ी से जुटा है,
कोइ सब्ज़ी, कोइ दाल,कोइ खिचङी से लुटा हैं ।
समझ गए तो_
यही गीता और यही कुरआन हैं,
वर्ना सब अहसास की बात है।।

गलत सही का फेर बड़ा है,
हर कोइ फैसले को खड़ा हैं..
कोइ उंगली उठाकर आँख दिखाए,
कोइ हाथ बढ़ाकर पार लगाए ।
रास्ते दो हैं और कदम तुम्हारे,
वर्ना सब अहसास की बात है।।

किसी ने लाल_
किसी ने हरे में वो क़िताबे लपेट कर रख दी,
जन्नत के उन दरवाजों की चाभी लपेट कर रख दी।
पढ़कर समझने का टाइम किसे है साहब,
सुनकर जो बहके वो परवरिश वो इमान हैं क्या,
ये समझ लो तो सबकुछ,
वर्ना सब अहसास की बात है।।
वर्ना सब अहसास की बात है।।

रितेश कुमार 'निश्छल'
 😇

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