Thursday, February 21, 2013

Some Valuable and Precious Gifts That God gave Me ..

My Powerfull Dad and My  Careing Mum.
My Family....











My Younger Brother 'Rahul' Wid  Mumy.
My Swt Sis..'Shilpa"









My Youngest Bro."Rajnish"








These are My Valuable And Precious Gift Which GOD has Given Me ..






Sunday, February 17, 2013

"तमाशबीन " न बन जाये , अहम् किरदार

                                    
हममे से हर किसी को भेजा गया किसी अहम् किरदार को निभाने के लिए ,एक ऐसा किरदार जिसके सूत्रधार होते हैं हम खुद। ..अब ये बात बिल्कुल हॉलीवुड फिल्म  'टर्मिनेटर ' की याद दिलाती हैं जिसमे भेजा गया था एक मशीनी रोबोट को  एक मकसद के साथ और अपने उस मकसद को उसने जान देकर भी निभाया। 
जबकि असल जिन्दगी में चीज़े इतनी आसन नही होती और आज हम और आप इस बात से इत्तेफ़ाक रखते हैं।लेकिन इस असल जिंदगी के अहम् किरदार भी हम और आप ही हैं ..वो किरदार -जो सोचते हैं ,जो कहते हैं और जो बोलते हैं वो जो उन्हें सही लगता हैं,.. क्युंकी आज के यंगस्टर बेबाक और बेधड़क हैं बिल्कुल  रंग दे बसंती और थ्री इडियट के अहम् किरदारों की तरह,आज का यूथ पसीना बहाकर जीत तक पहुँचना जानता  हैं बिल्कुल चक दे इंडिया के शाहरुख़ खान की गर्ल्स-हॉकी टीम की तरह और उम्र चाहे अधेड़ क्यों न हो लेकिन आम आदमी भारत की लचर से दिखते सिस्टम  पर बवंडर खड़ा करना जानता हैं बिल्कुल वेडनेसडे के नसरुद्दीन शाह की तरह...और आप ये बात जरुर मानेंगे की हम एक्साम्प्ल और इमेजिनेशन से इतने ज्यादा  प्रभावित हैं कि  इसमें वास्तविक और कल्पना के अन्तर का अन्तराल इतना होता हैं की हमे इसमें फर्क सा महसूस ही नही हो पाता ..हैं न ..।चलिए इस बात को हम और आप मिलकर थोड़ा और करीब से समझते हैं। ..
1-आज कल हम और आप अपने आस -पास जो होता हुआ या घटता हुआ देख पाते है या हमारे  आस पास जो  चकाचौंध है .. हम उसमे खुद को  किसी न किसी तरह जुड़ा हुआ पाते है और  कितनी जोशीली, कितनी स्वाभिमानी और कितनी एकजुट सी भीड़ नजर आती है।बिलकुल ऐसे जैसे हम किसी बहुत  बड़े जश्न का हिस्सा हो ..ऐसा लग रहा हो मानो की हम किसी बहुत बड़ी जीत की खुशियां आपस में बाँट रहे हो।आप महसूस कर पा रहे है जो मैं  कह रहा हूँ- नही ..

.तो  चलिए  लॉग_इन  करते हैं-
 ये रहा यूजर नेम - और -
ये पासवर्ड
-इंटर .
....देखा कितने लोग है आपके आस-पास जश्न मानते हुए, खुशियां बाँटते हुए,..दुसरे लोगो की और जरूरत मंदों की मदद करते हुए दिलासा देते हुए ,जोश बढ़ाते हुए और बुराई के खिलाफ खड़े सब अहम् किरदार ...अब कैसा महसूस कर रहे है आप .. माफ़ कीजिएगा यहाँ किसी सोशल वेबसाइट की बात नहीं हो रही क्युंकी  ये भी मेरी और आपकी दोहरी कल्पनाओ में से एक है जो वास्तविक होते हुए भी वास्तविकता से मीलो दूर है।
तो हमने लॉग इन कहाँ  किया था ..जैसे ही हमने सुबह उठ कर अपनी आँखे खोली तो ये हमारा यूजर नेम  हो गया और बिस्तर छोड़ने से पहले जो लम्बी सांस हमने ली वो हमारा पासवर्ड था और जैसे ही हम अपने प्रोफाइल से बाहर निकले यानि घर से ..तो हम पहुंचते  उस पेज पर जहाँ ये जानने को  मन आतुर रहता है की आज कितने नये दोस्त मिलेंगे कितनो ने क्या कुछ नया किया होगा ...यहाँ वो सब होता है जो सोशल वेबसाइट्स  पर और वो सब भी जो उन सोशल वेबसाइट्स पर नही ..यानि सोशल कम शोषण ज्यादा और मजे की बात ये है दोस्तों की हम ख़ुश है जश्न मना रहे है खुशिया बाँट रहे है .. हाँ हम सब साथ हैं ..लेकिन शायद  एकजुट नहीं। ..यहाँ इंडिया शाइन तो है लेकिन सब कुछ फ़ाईन  तो नहीं।.. आपको ऐसा नही लगता की ये कुछ जिम्मेदार से दिखते कंधे..ओवर-कॉंफिडेंट हो रहे है।क्यूंकि हम अपना ज्यादा समय तो कल्पनाओ की दुनिया में ही गुजार रहे है इमेजिनेशन वर्ल्ड इस्पिायर कर रहा है हमें  अब चाहे वो मूवीज हो "जो समाज को देखकर बनती हैं " ,सीरिएल्स हो "जो घरो को देखकर बनते हैं " ,सोशल वेबसाइट्स हो- न्यू विडियो गेम्स या फिर मार्किट में आये  आई -फ़ोन,अन्द्रोइएद या न्यू टेक्नोलॉजी गजेट्स "जिन्हें हमारे लिए टाइम पास और टाइम बचाने  की लिए बनाया गया " कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि मानो यही हमारी दुनिया बन गयी हो। काफी से ज्यादा टाइम हैं हमारे पास.. इन सभी चीज़ो के लिए। इन सभी चीजो से निपटने के बाद जो बहुमूल्य समय हमारे पास बचता हैं उसे हम अपने बचे हुए कामो में लगाते हैं।
..हम खो गये वास्तविक कल्पनाओ की नई दुनिया में ..तो कभी -कभी बेमानी नही लगता अपने देश के सिस्टम को लचर कहते हुए।
ऐसा नही लगता की हम यंगस्टर जो थोड़ा सा लापरवाह हो गये हैं हमारे साथ ऐसा ही होना चाहिए..सोशल नहीं शोषण ..क्यों शायद मैं  सही हो सकता हूँ  या गलत भी,क्युंकी  दोहरी कल्पनाओ के आधार पर कोई भी जंग यथार्थ में नही जीती जा सकती।मुझे डर हैं  कही  हम हार न जाये ..हार न जाये सिस्टम से , हम हार न जाये उस व्यवस्था से जिससे जुडी हैं हमारी हर छोटी बड़ी बात ,हम हार न जाये खुद से किए गये वादों से-- हम .. 'हम' होकर भी हार न जाये  .. हम जो खुद को अहम् किरदार मानते है तमाशबीन  न बन जाये और शायद कई बार बन भी जाते हैं। ये मुद्दा बहस का विषय नही लेकिन सोचनीए जरुर हैं। हमारा समय बहुत कीमती है जिसके इस्तेमाल के आधार ही पर हम भविष्य की गढ़ना करते हैं, हम आज का भविष्य है और हमारे पीछे आने वाला भविष्य जो हमे देखकर सक्रीय होने की कोशिश करता हैं और हमारे आगे गुजरा हुआ भविष्य हैं और हम तीनो ही मिलकर बनाते हैं एक बेहतर भविष्य ।