Saturday, August 3, 2013

वो एक लड़ी शब्दों की और एक नज़रिया


Attitude यानि नज़रिया बचपन से बड़े होते हुए इस शब्द को कई बार सुना, कई बार बोला , कई बार लिखा
लेकिन हम इस शब्द को समझने में और खुद में अपनाने में अपनी जिंदगी का काफी बड़ा हिस्सा
या कहे पूरी जिंदगी लगा देते हैं।
...या फिर कोई एक ऐसी घटना जो हमारी सोच के तरीके को हर तरीक़े से बदल देती है जैसे शर्मन जोशी 3 idiots मूवी के इंटरव्यू सीन में कहते  है- अपनी दोनों टाँगे तुड़वाने के बाद अपने पैरो पर खड़ा होना सीखा है…आप अपनी नौकरी रख लीजिये मैं अपना  Attitude रख लेता हूँ "… इस तरह के नज़रिए के बारे में बात करना और ऐसा नजरिया खुद में होना काफी अलग बात है
 फ़िलहाल बीते दिनों में मेरे साथ कुछ ऐसा जरुर हुआ जिसने मेरे खुद के नज़रिए पर कुछ फ़र्क जरुर डाला - जब मुझे मेरी छोटी बहन ने एक Quotation देते हुए उसका मतलब जानने को कुछ नया लिख कर देने को कहा लेकिन इसके बाद जो हुआ वो थोड़ा  रोचक था।
तो ये रही वो एक लाइन -"सपनो से ,लोगो से और सुदूर स्थानों से मिलने को बेताब रहो ,क्यूंकि ये जिंदगी बहुत लम्बी है ''- ..ये शब्द किस शक्सियत के माध्यम से कहे गये हैं ये मैं आपको आखिर में बताऊंगा।

मैंने इन शब्दों को पढ़ते ही हर शब्द को समझकर अपने जेहन में उतरने की पूरी कोशिश की ताकि जो  उम्मीद मेरी छोटी बहन ने मुझसे बाँधी वो बनी रहे …सो उस कोशिश के कुछ अंश आपसे बांटते हुए उस रोचक नजरिए के अंत तक पहुचेंगे हम…तो ये रहे कुछ अंश -

-"सपनो से ,लोगो से और सुदूर स्थानों से मिलने को बेताब रहो ,क्यूंकि ये जिंदगी बहुत लम्बी है ''………

सचमुच इन शब्दों को लिखने वाले शख्स का हाथ चूमने को दिल करता है क्यूंकि इन शब्दों में जिंदगी जीने की तकनीक लिखी हुई है …वास्तव में ये जिंदगी बहुत लम्बी है क्यूंकि सपनो से ,लोगो से  और सुदूर स्थानों से मिलने की बेताबी दिखाए बिना ये जिंदगी नीरस (बोर),खाली-खाली और खिंची हुई सी और लम्बी सी महसूस होने लगेगी।
एक ऐसी जिंदगी जिसमे कोई उत्साह ,चुनौती और हारने के बाद सीखने की तड़प नहीं होगी ,जीत की खुशबू के साथ मेहनत का सौंधापन नहीं होगा। जिद होगी पर उसमे मजबूत ज़ज्बात  नहीं होंगे और सबसे बड़ी बात -"जिंदगी को जीने का एक सही नज़रिया नहीं होगा "…. तो इस तरह से इन शब्दों को लिखने वाले के नजरिये  से -सपने,लोग और सुदूर स्थानों को अपनाये बिना इनसे मिले बिना ये जिंदगी उबासी भरती हुई बहुत  लम्बी हैं।

(वैसे इस लाइन को एक बार पढ़ने पर लगता है की लिखने वाले ने जिंदगी को लम्बी बताकर हमारे ऊपर एक टोंट कसा है जैसे वो हमें चिढ़ा रहे हो की ये सब बाते बहुत ज़रूरी है लेकिन तुम जैसे आलसी के लिए नहीं जो बिना कुछ किए अपनी जिंदगी खींच कर लम्बी कर रहा है।लेकिन फिर अगले पल ये लगता है की उन्हें ये तो पता है कि हमारे पास जिंदगी के 40-50-60 साल तो है तो क्यूँ ना इस लम्बी जिंदगी को प्लान करके जिया जाये। )

फ़िलहाल लिखने वाले ने अपने लिखे हुए इस एक वाक्य के हर शब्द में एक ख़जाना छिपा रक्खा हैं ऐसा मुझे लगा तो उसे टटोलने की  कोशिश आपके सामने आगे की कुछ लाइन्स में हैं-

सपनो से --लिखने वाले शख्स ने अपने लिखे हुए शब्दो  में सबसे पहले 'सपने' को जगह दी…. जो एक सच को दर्शाता है कि  आपकी जिन्दगी की गाड़ी की रफ़्तार और सही मंजिल …  आपके सपनो के मजबूत ईंधन पर निर्भर करता है। ये स्पष्ट  है  कि  सपने आपके जूनून पर और आपका जूनून उन्हें पाने की बेताबी पर निर्भर करता है  ये सपने ही है जो हमे अपने आप से मिलते है क्यूंकि ये हमारे अपने सपने होते है।  

लोगो से--इस शब्द का आस्तित्व हमारे जीवन में इतना है कि  हमारे जन्म से,हमारे पूरे जीवन का आधार बन कर और हमारी मृत्यु तक ये (लोग ) हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अभिन्न हिस्सा बने



रहते है,यकीनन ये बहुत रोचक है लेकिन कई बार या कहिये हर बार हम सपने इन्ही अपनों के लिए देखते है  या  हम जिन्हें अपना बना लेते है  इनमे से कुछ रिश्ते ऐसे बन जाते  या कहे हम उसमे ऐसे मिल जाते है जिनके लिए कुछ भी कर गुजरने की बेताबी हमारी आखिरी सांस तक बनी रहती है निश्चित तौर पर हम इन्ही लोगो के लिए अपनी इस जिंदगी को गुजारते हुए अपना वजूद कायम  रख पाते है।

अगर सच कहूँ  तो ऐसा कुछ लिखते हुए बहुत बेहतर महसूस हो रहा है मुझे लेकिन खुद के जीवन में सपनो का और लोगो का महत्व जानने और समझने के बाद, ये हमारे जीवन जीने के तरीके और हमारे नज़रिये  के नज़रिये पर खासा असर छोड़ जाती है … लेकिन इस लाइन को लिखने वाले बेहतरीन शख्स ने मुझे थोडा तब उलझा दिया जब उन्होंने अपने इन शब्दों के झुण्ड में सुदूर स्थानों का जिक्र किया क्यूंकि सपनो से और लोगो से मिलने की बेताबी तो समझ सकते है।  फिर भी मैंने इसे शब्द को  लिखने वाले के  नज़रिये  से इसे समझने की थोड़ी कोशिश जरुर की-

सुदूर स्थानों से --लिखने वाले के नज़रिये से हमारे पास सपने है ,उत्साह देने वाले,साथ चलने
 वाले और चुनौती देने वाले लोग है तो अब बचती है जीवन को सार्थक करने वाली एक बड़ी सफलता  ,तो सुदूर
स्थानों का एक बड़ी सफलता मिलने से क्या महत्व है ,तो इस बात को समझने के लिए मैंने एक बात समझी ….



कि… "एक लहलहाता हुआ सरसों का खेत तभी ज्यादा लुभावना लगता है ,जब वो कई एकड़ जमीन में फैला हो । ". इन लिखे हुए शब्दों को समझना उतना मजेदार नहीं जितना वास्तव में इस द्रश्य को देखते हुए जो आप अनुभव कर पाएंगे तो यहाँ  उस पंक्ति को लिखने वाले श्रीमान का कहना थोड़ा  स्पष्ट हो जाता है कि सफलता को फैलाव चाहिए। सिमटी हुई जगह पर की गई कोशिश से सिमटी हुई तरक्की मिलती है यहाँ एक तर्क और स्पष्ट

होता हुआ नजर आता है की जब हम सुदूर स्थानों पर अपनी चाहत और सपनो की खुशबू लेकर पहुंचते है तो वहाँ  के लोगो की, संस्कृति की ,उनके विचारो की और जीवन के नये अनुभव की ख़ुशबू लेकर वापस आते है,यहाँ  एक बात स्पष्ट हुई की हर सुदूर स्थान  हमें जिंदगी को हर बार एक नए नज़रिये से देखने का ,सीखने का मौका देता है जिससे हमारी आने वाली सफ़लता को एक नया नज़रिया और एक नया आयाम मिलता हैं।




जिंदगी में जल्दबाजी हो अपने अधूरे काम और नायब सपनो को पूरा करने के लिए ।
जिंदगी में आराम हो अपने चहेतो और आदर्श लोगो के साथ समय बिताने और सीखने के लिए ।
इस लंम्बी सी जिंदगी को हम कैसे जीना चाहते है ये हम तय करते है क्यूंकि ये  जिंदगी हमारी ,टाइम हमारा और मुस्कराहट भी हमारी …

इसलिए बेताब रहे …उन अनकहे अनसुने अनछुए अद् भुत "सपनो " तक पहुचने के लिए …।
इसलिए बेताब रहे …उन लोगो से मिलने को.… उनमे समाने को जिनके लिए आप जीते है और मिट जाते है,जो जरिया बन जाते है जाने-अनजाने आपके उस मुकाम तक पहुचने का जहाँ आपके मजबूत ज़ज्बात ठहरते है।
इसलिए बेताब रहे है… उन सुदूर स्थानों  को जानने -अपनाने को जो आपके व्यक्तित्व और नज़रिये को नए आयाम दे। क्यूंकि ये जिंदगी हर पल में हर लम्हें में बहुत  लम्बी है।  
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तो इस तरह मैंने अपने इस लेख का समापन किया और उस एक लाइन को खुद से खुद के लिए समझने की कोशिश कि ताकि मैं भी अपने जीवन जीने के तरीके में थोड़ा बदलाव ला पाऊ जैसा की वो श्रीमान कहना चाहते थे और इसके माध्यम से मैं अपनी छोटी बहन के मन में चल रहे प्रश्नों के के उत्तर देने में थोड़ा बहुत कामयाब रहा ऐसा इस लेख को पढ़ने के बाद उसके चेहरे पर चल रहे भावों में से मैं भांप  पाया। ……
लेकिन कुछ महीनो बाद मेरी छोटी बहन थोड़ी असमंजस की स्थिति मेरे पास आई और बोली कि भैया एक छोटी सी मिस्टेक हो गई है वो न जो मैंने आपको Quotation दी थी वो न थोड़ी सी चेंज है बस थोड़ी सी…उसकी इतनी सी बात से मेरी भौहें थोड़ी चढ़ गई । मैंने पूछा क्या …उसने कहा -- जब मैंने वो  पढ़ा और जिस काग़ज पर ये लिखा था वो मुझसे मिस हो गया था ये लाइन मेरे माइंड  में थी और कई दिनों से आपसे पूछना चाह रही थी लेकिन जब मैंने आपको लिख कर दिया तो थोड़ी Confusion हो गई….
मैंने प्यार से पुछा - क्या बेटा
उसने कहा - -"सपनो से ,लोगो से और सुदूर स्थानों से मिलने को बेताब रहो ,क्यूंकि ये जिंदगी बहुत छोटी  है "….
फिर मैं कुछ देर तक उसे देखता रह गया कुछ देर बाद मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ की मैंने बिना जाँचे-परखे इस तथ्य पर एक आर्टिकल लिख डाला। …इसके सुधार के लिए तुरंत मैंने अपनी  खोज शुरू कर दी-और रिजल्ट कुछ समय में मिल गया- इसे लिखने वाले राइटर डेविड एस्सेल है जिनका नाम मुझे  Northern Exposure writers …
की लिस्ट में दिखा जिन्होंने इंग्लिश में ये तथ्य दिया था जो न जाने मेरी बहन को कहाँ  से मिला -वो लाइन्स ये थी। …
Be open to your dreams, people. Embrace that distant shore. Because our mortal journey is over all too soon.
- David Assael, Northern Exposure, It Happened in Juneau, 1992 .
इन शब्दों का काफी हद तक वही अर्थ है जो मेरी छोटी बहन ने मुझे दिया बस उसने जिंदगी को लम्बा कर दिया  ……
इस छोटे से हादसे ने मुझे एक बहुत बड़ी बात सिखाई कि  कोई बात किस तरह से कही गई ये उतना माएने फिर भी नहीं रखती जितना ये कि  हम उस बात को खुद में कैसे ढाल पा रहे है या हमारा नज़रिया उस बात को समझने या अपनाने का कैसा है …
कही हुई या सुनी हुई बात गलत हो सकती है लेकिन हमारा सकारात्मक रवैया उस बात में भी अपने लिए बहुमूल्य ख़जाना ज़रूर दूंढ़ लेगा।

ये मेरी खुद पर बीती एक ऐसी आप बीती है जिसने मेरे नज़रिये को एक नया नज़रिया दिया और आपके?   
                                                                                              

                                                                                                      केवल एक प्रयास - रितेश निश्छल