Tuesday, April 1, 2014

मज़हब नही सिखाता आपस में बैर रखना- So Like, Comment & Share

                  

देश....हमारा देश....जिसे प्यार से हम कई नामांे से जानते हैं-भारतवर्ष, हिंदुस्तान, अनेकता में एकता का प्रमाण, भाई चारे का और दोस्ती का अद्भुत उदाहरण। शब्दों में और कागज पर ये बात हमें कितनी ही सुकून दे लेकिन ये बातें जमीनी हकीकत से मीलांे दूर नजर आती है।



लोकतंत्र एक ताकत एक आम आदमी की शक्ति। सामान्य व्यक्ति जिसे अपने हक के लिए अपनी समृद्धता और सुरक्षा के लिए कुछ भी चुनने की शक्ति है... वो चुन सकता है अपने लिए एक लीडर.





जिसके लिए लोकतान्त्रिक ढांचे में तैयार होती है चुनावी रूपरेखा। यानि अपनी शक्ति प्रदर्शन को समक्ष रखने का सही वक्त। आजादी का अमृत माना जाने वाला लोकतंत्र बली चढ़ जाता है - राजनीति से भरी कूटनीति के। अब सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर विज्ञापन का खेल शुरू हो जाता है। मैं कोई समीक्षक नहीं लेकिन फिर भी आपसे अपना नजरिया ज़रूर शेयर करना चाहूंगा और एक अपील भी करना चाहूंगा- भारत के भविष्य से यानि हमारे यूथ्स से।
हममें से कई जुझारू और कर्मठ लोगों का एकाउंट कई सारे सोशल मीडिया वेबसाइट्स और अब तो कई बेहतरीन मसेन्जर्स ऐप्स पर भी है। जिन पर बहुत कुछ शेयर करते है, लाइक करते हैं और कमेंट करते हैं। ये इस लोकतान्त्रिक देश की क्रांति मान लीजिये जहां एक सामान्य व्यक्ति को अपनी बात खुलकर कहने का पूरा अधिकार है।
लेकिन आपको इस बात का अनुमान है के नेताओं के जरिये इस देश में गृह युद्ध हो न हो लेकिन हमारे जरिये ये यथा शीघ्र ही सम्भव हो जाऐगा। कैसे ? थोडा इंतज़ार कीजिये।
उससे पहले एक गीत की एक लाइन ”मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”। आप यकीन मानिये अगर आप अपनी सोशल मीडिया साईट या मेसेंजर ऐप पर ये लाइन लिखकर पूछिए कि “आपने ये गाना अपने स्कूल टाइम की प्रेयर में गाया है तो हिट लाइक और कमेंट।” क्या लगता है आपको ये बताने की जरुरत नहीं रेस्पोंस क्या होगा।
लेकिन फिर भी मुझे गहरा दुःख है और चिंता भी कि हमारे कुछ यूथ की सोच वही कुछ पुराने घिसे पिटे ढर्रो पर चल रही है, जहां आज भी हम हिन्दू -हिन्दू, मुस्लमान-मुस्लमान का गाना गा रहे हैं। बड़ा अफसोस होता है जब आप अपने प्रिय नेता को जिताने के लिए पुराने सांप्रदायिक दंगो की बात करते है, हम हिन्दू हैं, हम मुस्लमान है। जिस सदी में हम हैं, क्या हमारी सोच इससे आगे की नहीं होनी चाहिए ?
सोच कैसी होनी चाहिए अगर सवाल ये है तो चलिए जिन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया उनके कुछ  शब्दो  को  समझ  लेते  है ‘‘यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते. मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा. लेकिन यह मेरा नीजी मामला है. राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है.
 राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष कल्याण , स्वास्थ्य , संचार, विदेशी संबंधो, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा ,लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं. वो सबका निजी मामला है.।‘‘ -श्री .लाल  बहादुर  शास्त्री .

वैसे बाते तो कई बड़े विद्वानो की है और काफी है लेकिन इसके पीछे की बात केवल ये कि- मज़हब नहीं  सिखाता आपस में बैर रखना-ये सच जानते हुए भी हम आरोप मढ़ते है -हम अपनी सोशल वेब साईट  पर और मसेन्जर्स ऐप्स पर क्या पोस्ट करते -हम आंकड़े गिनाते है कितने घायल हुए-कितने मरे -कितने अनाथ हुए और कितने  बेसहारा- पुराने जख़्म कुरेद कर हम  चुनावी आग में घी डालते है..और उसमे दब जाते है वो मुद्दे जिन्हे वास्तव में हम पोस्ट करना लाइक करना कमेंट करना और शेयर करना भूल गये- हम सब आपस में जुड़े हुए है भावनाओ से विचारो से सम्बंन्धो से...लेकिन हमे धर्म के नाम पर बाँट दिया  जाता है .और अगर ऐसा रहा तो मुझे डर है और वो दिन दूर नहीं जब हम आपस में ही तलवारे लेकर एक दूसरे पर चढ़े होंगे और यही विरासत में अपने बच्चो को देकर जायेंगे नफरत, गुस्सा और हाथो में हथियार क्या जो  हम कर रहे है वो क्या किसी आतंकवाद गतिविधि से कम है .अपने  घर में आग लगा रहे है हम खैर हममे से कई यूथ ये समझते और ये जानते है कि हमारे देश को वास्तव में क्या चाहिए बेहतर एजुकेशन और डेवलपमेंट ,बुजुर्गो और महिलाओ कि सुरक्षा ,हमारा नाम भी बेहतर इकनाॅमिक कंट्री में ऐड हो .हमारी सैन्य शक्ति प्रबल हो दूसरे देशो से ज्यादा ..आप सब से मेरी अपील है एक नेक सोच के साथ वो करे जो सही मायने में लोकतंत्र के मायने और उसकी शक्ति को दर्शाता  है।
आज कि राजनीति में नेताओ का अंग्रेंजो के समय का प्रोपोगंडा है कि फूट डालो राज करो और हममे  से  कुछ दिल खोलकर उनको मदद कर रहे है।.लेकिन टेक्नोलॉजी से मदद लेकर अगर रिश्तो को बेहतर  बनाया जाये तो बेहतर ..ऐसे  पोस्ट करे जो हमे जोड़े ऐसे लाइक करे जो दुसरो को पसंद हो और  शेयर  करे आपस में ढेर सारा प्यार ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को नफरत नहीं प्यार और एकजुटता की  सीख दे पांए क्योंकि मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना.-ये गा कर भूलने वाली चीज नहीं थी है  ना -लाइक  कमेंट  एंड   शेयर  प्लीज और हाँ ‘‘धर्म के लिये नही देश के बेहतर भविष्य के लिये- वोट करें।‘‘



                                                                                                                 एक प्रयास - रितेश निश्छल